कुछ ख्वाब जरुरी हे ख्वाबो को जीने दो...
ये रंज भी सेह लेंगे कदमों को चलने दो...
आसान नही चुभती राहों पर ज़ख्मी कदमों से चलना...
पानी लेकर बादल की तरह सेहरा सेहरा क्या फिरना...
एह्सास तो ज़िंदा हे...
ईस दर्द को बहने दो...
माना कि पुराने रिश्तो ने आसुं दिये हे आखों को...
कुछ लोग तुम्हारी खातीर ही रोशन रखे हे शमाओ को...
ये रात अन्धेरी हे...
तारों को जलने दो...
ख्वाबो को जिने दो....
-चंद्रकांत.
Thursday, 6 March 2008
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