Thursday, 6 March 2008




तुम सपनो में आए हो तो अपने भी बन जाओगे...

जो चलन बनाता हे वो प्राणोमें ढल जाता है...


जो आहों में उठता हे वो सासों मे खो जाता है...

तुम उषा मे बिछरे हो तो संध्या मे मिल जाओगे...



जो खुद को हि दे डाले वोहि सच्चा दानी है...

जो अनबोली रह जाती है...वो हि सच्ची बाणी है...


तुम कंपन बन भागोगे तो गीतोमे बंध जाओगे...

तुम सपनो में आए हो तो अपने भी बन जाओगे...



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